Sunscreen: धूप हो या बारिश या छाएं हों बादल, हर मौसम में ‘सनस्क्रीन’ लगाना है जरूरी! मगर क्यों?/Whether it is sunny or rain or cloudy, it is necessary to apply ‘sunscreen’ in every season! but why?
Sunscreen आपको त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं से बचाने का काम करता है. हालांकि ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि इसका इस्तेमाल सिर्फ धूप से प्रोटेक्शन के मकसद से ही किया जाना चाहिए. जबकि ऐसा नहीं है. आपको इसका इस्तेमाल सिर्फ सूरज की किरणों से बचने के लिए ही नहीं करना चाहिए, बल्कि हर मौसम में इसे लगाना चाहिए. सनस्क्रीन सनबर्न, वक्त से पहले बुढ़ापा के लक्षण और स्किन कैंसर को रोकने का काम करता है. लोगों के मन में सनस्क्रीन को लेकर कई सारे मिथ हैं, जिन्हें दूर करना जरूरी है. आइए जानते हैं सनस्क्रीन के इस्तेमाल से जुड़े कुछ मिथ्स के बारे में…
मिथ 1: बादल छाएं हैं तो सनस्क्रीन लगाने की जरूरत नहीं!
यह कथन पूरी तरह से गलत है कि बादल छाने के मौसम में आपको सनस्क्रीन (Sunscreen) का इस्तेमाल करने की कोई जरूरत नहीं है. सनस्क्रीन का इस्तेमाल हर मौसम में करना जरूरी है, फिर चाहे बादल ही क्यों न छाएं हों. भले ही बादल सूरज की कुछ किरणों को रोक लेते हैं, लेकिन फिर भी UV रेडिएशन आपकी स्किन तक पहुंच सकता है और उसे नुकसान पहुंचा सकता है. यूवी रेडिएशन के कॉन्टैक्ट में आने से स्किन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।यही वजह है कि मौसम पर ध्यान दिए बगैर घर से बाहर निकलने से पहले सनस्क्रीन जरूर लगाएं।
मिथ 2: स्विमिंग पूल में हैं तो नहीं होगा सनबर्न!
यह धारणा भी पूरी तरह से गलत है कि स्विमिंग पूल में नहाते वक्त आपको सनस्क्रीन (Sunscreen) की जरूरत नहीं है. स्विमिंग पूल नहाते वक्त भी सनबर्न हो सकता है. क्योंकि पानी सूरज की रोशनी को रिफ्लेक्ट करता है, जिससे यूवी रेडिएशन के कॉन्टैक्ट में आने का खतरा बढ़ सकता है. यही वजह है कि पूल में जाते वक्त हर किसी को ‘वॉटर रेजिस्टेंट सनस्क्रीन’ लगाना चाहिए।
मिथ 3: सुपर-हाई SPF वाला सनस्क्रीन पूरे दिन टिका रहता है!
जी नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. सुपर-हाई एसपीएफ (सन प्रोटेक्शन फैक्टर) वाला सनस्क्रीन (Sunscreen) आपको पूरे दिन सुरक्षा नहीं दे सकता. इसमें कोई शक नहीं है कि हाई एसपीएफ वाला सनस्क्रीन यूवी रेडिएशन के खिलाफ प्रोटेक्शन देते हैं, लेकिन सिर्फ दिन में एक बार लगाना काफी नहीं होगा।इस सनस्क्रीन को आपके कुछ-कुछ गैप में बार-बार लगाते रहना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि पसीने, तैरने और दौड़ने सहित कई वजहों से सनस्क्रीन का असर खत्म हो सकता है।
मिथ 4: स्किन कैंसर सिर्फ शरीर के उन हिस्सों पर हो सकता है जो धूप के कॉन्टैक्ट में आते हैं!
इस बात में बिल्कुल सच्चाई नहीं है।आपको शरीर के उन हिस्सों पर भी स्किन कैंसर हो सकता है, जो सूरज के सीधे कॉन्टैक्ट में नहीं आते हैं।स्किन का कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से पर पैदा हो सकता है, यहा तक कि कपड़े या बालों से ढके हुए हिस्सों पर भी।सूरज से आने वाला यूवी रेडिएशन बादलों और खिड़कियों के जरिए प्रवेश कर सकता है।इसका मतलब है कि आप घर के अंदर या कार में बैठे हुए भी यूवी किरणों के संपर्क में आ सकते हैं।
मिथ 5: सनस्क्रीन का इस्तेमाल करेंगे तो स्किन कैंसर नहीं होगा!
यह धारणा बिल्कुल गलत है। सनस्क्रीन लगाने के बाद भी स्किन कैंसर हो सकता है।हालांकि फिर भी ये आपकी स्किन को यूवी रेडिएशन से बचाकर स्किन कैंसर के पैदा होने के खतरे को कम जरूर कर सकता है। कोई भी सनस्क्रीन 100 पर्सेंट यूवी रेडिएशन को ब्लॉक नहीं कर सकता।अगर आप इसे सही तरीके से लगाते हैं तो भी यूवी रेडिएशन आपकी स्किन में एंट्री मार सकता है।