जानिए Goswami Tulsidas के अनमोल वचनों के बारे में / To Know About Tulsidas Priceless Word
जानिए Goswami Tulsidas के बारे में
Goswami Tulsidas के बारे में बात की जाए तो उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की, उनमें श्री रामचरितमानस, हनुमान बाहुक, हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, वैराग्य सन्दीपनी, विनयपत्रिका, दोहावली, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, कवितावली आदि हैं, जो उनके विशिष्ट लेखन को जनमानस तक पहुंचाने में सफल रही है। वे संस्कृत के विद्वान और हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को तुलसीदास जयंती मनाई जाती है। इस साल तुलसीदास जयंती 4 अगस्त, गुरुवार को है। गोस्वामी तुलसीदास भक्ति रस के कवि थे। उन्होंने कई ग्रंथों की रचना की लेकिन रामचरितमास की रचना कर Tulsidas अमर हो गए। कहा जाता है कि जब तुलसीदास का जन्म हुआ तो उनके मुख से ‘राम’ शब्द निकला था। यही कारण है कि उनका नाम रामबोला पड़ गया। Tulsidas का जन्म चित्रकूट के राजापुर गांव में आत्माराम दुबे और हुलसी के घर पर संवत 1554 में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को हुआ था।
Goswami Tulsidas के अनमोल वचन
- जिस व्यक्ति की तृष्णा जितनी बड़ी होती है, वह उतना ही बड़ा दरिद्र होता है।
- स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके।
- फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, संपत्ति के समय सज्जन भी नम्र होते हैं। परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा ही होता है।
- ईश्वर ने संसार को कर्म प्रधान बना रखा है, इसमें जो मनुष्य जैसा कर्म करता है उसको, वैसा ही फल प्राप्त होता है।
- वैसे ही किसी बात को अधिक कहने से रस नहीं रह जाता, जैसे गूलर के फल को फोड़ने पर रस नहीं निकलता है।
- धर्म, मित्र, धैर्य और नारी की परीक्षा आपात स्थिति में ही होती है।
- जिसके मन में किसी के भी प्रति राग-द्वेष नहीं है तथा जिसने तृष्णा को त्याग कर शील और संतोष ग्रहण कर रखा हैं, वे संत पुरुष जगत के लिए जहाज समान है।
- पेट की आग (भूख) बड़वाग्नि से बड़ी होती है।
- तप के बल से ब्रह्मा सृष्टि करते हैं। तप से संसार में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं है।
- वृक्ष अपने सिर पर गर्मी सहता है, पर अपनी छाया में दूसरों का ताप दूर करता है।
Shlokas by Goswami Tulsidas Ji
राम नाम मणि दीप धारू, जी डेहरी द्वार..
तुलसी भीतर बहराहुं, जौ चहसी उजियार..!!
- काम क्रोध लोभ मोह, जो लो मन में खां..
लो पंडित मूरखो, तुलसी एक समान..!! - तुलसी इस संसार में, भांति भांती के लोग..
सबसे है मिल बोलिए, नदी नव संजोग..!! - तुलसी भरोसा राम के, निर्भय होके सोया..
अनहोनी होनी नहीं, होनी हो तो हो..!! - दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान ..
तुलसी दया ना चादिये, जब लग घाट में प्राण..!! - चित्रकूट के घाट पर, भाई संतान की भीर..
तुलसीदास चंदन घीसे, तिलक डेट रघुवीर..!! - तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक ..
सहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक..!! - कर्म प्रधान, विश्व कारी राखा ..
जो जस करई, सो तस फल चाखा..!! - आवत हे हर्षे नहीं, नैनन नहीं स्नेह..
तुलसी तह न जाए, कंचन बरसे मह..!! - राम नाम को कल्पतरु, कलि कल्याण निवासु..
जो सुमिरत भयो भांग, ते तुलसी तुलसीदास..!!