इस देश ने लॉन्च की दुनिया की सबसे फास्ट हाइड्रोजन ट्रेन, 160 किलोमीटर प्रतिघंटा है रफ्तार!/This country launched the world’s fastest hydrogen train, the speed is 160 kilometers per hour!
ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौतियां मनुष्य को ऊर्जा के पारंपरिक संसाधनों जैसे कोयले और तेल के इतर दूसरे संसाधनों पर शिफ्ट करने के लिए बाध्य कर रही हैं। इसी दिशा में चीन ने भी हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन (Hydrogen train) की शुरुआत कर दी है। इससे पहले जर्मनी भी हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन की शुरुआत कर चुका है। यह दुनिया में दूसरी ट्रेन है जो हाइड्रोजन गैस से चलेगी। इसकी रफ्तार कितनी है और क्या खूबियां हैं, इसके बारे में हम आपको यहां जानकारी दे रहे हैं।
हाइड्रोजन ट्रेन (Hydrogen Train) की शुरुआत करने वाला चीन अब दुनिया का दूसरा देश बन गया है
हाइड्रोजन ट्रेन (Hydrogen Train) की शुरुआत करने वाला चीन अब दुनिया का दूसरा देश बन गया है जिसके पास अपनी हाइड्रोजन गैस से चलने वाली ट्रेन है। इसे चीन की सरकारी कंपनी सीआरआरसी कॉर्पोरेशन लिमिटिड (CRRC Corporation Ltd) ने बनाया है। न्यू एटलस की रिपोर्ट के मुताबिक इस हाइड्रोजन ट्रेन की स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा है। अगर इसकी रेंज की बात करें तो एक बार गैस ईंधन से फुल होने पर यह 600 किलोमीटर तक चल सकती है। जर्मनी इससे पहले ही ट्रेन की शुरुआत कर चुका है और देश में 14 हाइड्रोजन ट्रेन लॉन्च की जा चुकी हैं। लेकिन रफ्तार की तुलना करें तो चीन की ट्रेन यहां आगे है। जर्मनी की हाइड्रोजन ट्रेन की स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटा बताई गई है।
चीन की CRRC को दुनिया की सबसे बड़़ी रेल यातायात तैयार करने वाली कंपनी कहा जाता है। देश में चेंगडु रेल ट्रांजिट इसका पहला हाइड्रोजन रेल ट्रांजिट है। अगर माइलेज की बात करें तो यहां चीन की ट्रेन जर्मनी की हाइड्रोजन ट्रेन से पीछे है क्योंकि जर्मनी की हाइड्रोजन ट्रेन एक बार के गैस ईंधन में 1000 किलोमीटर तक चल सकती है। हाल ही में खबरों में ये बात भी सामने आई थी कि देश ने इसकी रेंज को 1175 किलोमीटर तक पहुंचा दिया है।
दुनिया में सबसे पहले जर्मनी ने Hydrogen train की शुरुआत की थी
दुनिया में सबसे पहले जर्मनी ने Hydrogen train की शुरुआत की थी। इन रेलगाड़ियों को फ्रेंच कंपनी एल्सटॉम ने निर्मित किया था। ट्रेन में एक फ्यूल सेल का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें हाइड्रोजन गैस भरी होती है। इन्हें ट्रेन की छत पर लगाया जाता है। जब यह ऑक्सीजन से मिलता है तो पानी बनाता है। इस प्रकिया में ऊर्जा पैदा होती है जिसे ट्रेन को चलाने के इस्तेमाल में ले लिया जाता है। हाइड्रोजन ऊर्जा की खास बात यही है कि इसमें वायु प्रदूषण पैदा नहीं होता है और न ही इसमें किसी तरह की आवाज का प्रदूषण पैदा होता है।