rajasthan day

Rajasthan Day: ‘पधारो म्हारे देश’ की धरती के बारे में क्या ढूंढा जाता है गूगल पर?What is searched about the land of ‘Padharo Mhare Desh’ on Google?

Rajasthan Day 30 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है?

Rajasthan Day: 14 जनवरी, 1949 को उदयपुर की एक सार्वजनिक सभा में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर रियासतों के सैद्धांतिक रूप से विलय की घोषणा की । इस घोषणा को मूर्त रूप देने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जयपुर में 30 मार्च 1949 को एक समारोह में वृहद् राजस्थान का उद्घाटन किया । इसलिए राजस्थान दिवस (Rajasthan Day) हर वर्ष तीस मार्च को मनाया जाता है।

आज़ादी के वक्त राजस्थान में कुल 22 रियासतें थी. वर्तमान राजस्थान में तत्कालीन 19 देसी रियासतों में राजाओं का शासन हुआ करता था । जबकि, तीन रियासतों (नीमराना, लव और कुशालगढ़ ) में चीफ़शिप थी । यहां के अजमेर मेरवाड़ा प्रांत पर ब्रिटिश शासकों का राज था, इसलिए यह स्वतः ही स्वतंत्र भारत में शामिल हो जाती । तत्कालीन रियासतों के विलय की प्रक्रिया 18 मार्च 1948 से एक नवंबर 1956 तक चली । इस प्रक्रिया को सात चरणों में पूरा किया गया था।

एमपी के कितने गांव किए गए शामिल?

भारत सरकार ने अफ़ज़ल अली के नेतृत्व में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफ़ारिश पर ब्रिटिश शासित अजमेर मेरवाड़ा प्रांत का 1 नवंबर 1956 को राजस्थान में विलय कर लिया।इस दौरान ही मध्यप्रदेश की मंदसौर तहसील के गांव सुनेलटप्पा को भी राजस्थान में शामिल किया गया।जबकि, राजस्थान के झालावाड़ ज़िले के गांव सिरोंज को मध्यप्रदेश में शामिल किया गया।भारत सरकार की गठित राव समिति की सिफ़ारिशों के आधार पर 7 सितंबर 1949 को जयपुर को राजस्थान राज्य की राजधानी बनाया गया।

राजस्थान को वीरों की भूमि क्यों कहते हैं

तत्कालीन मेवाड़, मारवाड़, जयपुर, बूंदी, कोटा भरतपुर और अलवर पहले बड़ी रियासतें हुआ करती थीं. यहां चौहान, राठौड़, गहलोत और परमार वंशों का राज था. यहं कई बड़ी जंग हुईं और मुग़लों और बाहरी आक्रमणों ने यहां के इतिहास को शौर्य गाथाओं से भर दिया । राजस्थान, पृथ्वी राज चौहाण, महाराणा प्रताप, राणा सांगा, राणा कुंभा जैसे शूरवीरों के इतिहास को सहेजे हुए है. देश-दुनिया में राजस्थान को वीरों की धरती से ही पहचाना जाता है. हल्दी घाटी का युद्ध, चित्तौड़, खानवा, तराइन, रणथंभौर के युद्ध राजस्थान की धरती पर ही हुए।

वर्तमान समय में भारतीय सेना में राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र (सीकर, झुंझुनू और चूरू) से बड़ी संख्या में युवा हैं. देश सेवा के लिए राजस्थान के शेखावाटी से सर्वाधिक युवा सेना में जाते हैं.

राजस्थान का पुराना नाम क्या?

आजादी से पहले राजस्थान को ‘राजपूताना’ के नाम से जाना जाता था. इतिहासकारों का मानना है कि जार्ज थॉमस ने साल 1800 ईसा में ‘राजपूताना’ नाम दिया था । इतिहासकारों का दावा है कि कर्नल जेम्स टॉड ने इस राज्य का नाम राजस्थान रखा. स्थानीय साहित्यिक भाषा में राजाओं के निवास प्रांत को राजस्थान ही कहा जाता था । राजस्थान का ही संस्कृत रूप राजस्थान बना, जिसका अर्थ है राजाओं का स्थान. रियासतों के विलय के बाद जब एकीकृत राज्यों के नाम दिए गए तब राजस्थान नाम को ही स्वीकृति दी गई।

साल 1954 में आई सत्येन बोस फ़िल्म ‘जागृति’ के एक गीत में भी इस जगह के लिए राजपूताना शब्द का इस्तेमाल किया गया है. गीत में कहा गया है, “ये है अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे, इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे….”राजस्थान के सबसे बड़े विश्वविद्यालय का शुरुआती नाम राजपूताना विश्वविद्यालय था, वर्तमान में यह राजस्थान विश्वविद्यालय है।

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