जानिए गुरू नानक देव जी के अनमोल वचनों के बारे में/Know about the precious words of Guru Nanak Dev Ji
आज पूरी दुनिया में Guru Nanak Dev Ji का एक महान स्थान है।उन जैसे पूर्ण गुरु सृष्टि की शुरुआत से ही धरती पर हमारी आत्मा को परमेश्वर से मिलाने के लिए आते रहे हैं। समय-समय पर हम सभी का मार्गदर्शन करते रहे हैं। शिष्यों को परमपिता से मिलन की राह दिखाते रहे हैं। यहां ध्यान दें कि गुरु नानक देव जी सिर्फ सिखों के नहीं थे, वे संपूर्ण मानव जाति के लिए थे, जैसे संपूर्ण मनुष्य जाति उनके लिए थी और कहीं न कहीं उनसे ही थी।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन हर साल गुरु नानक (Guru Nanak) जयंती मनाई जाती है। माना जाता है 15 अप्रैल 1469 को रावी नदी के तट पर बसे तलवंडी गांव में गुरु नाक जी का जन्म हुआ था। जिस दिन जन्म हुआ था उस दिन कार्तिक पूर्णिमा थी। गुरु नानक जी के पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी थी। माना जाता है कि गुरु नानक जी ने ही सिख समाज की नींव रखी थी। इसी कारण उन्हें सिख समुदाय के पहले गुरु माना जाता है। इसलिए हर साल इस दिन को गुरु पूरब या प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती के पावन अवसर पर जानिए कुछ ऐसे विचारों के बारे में जिनका पालन करके व्यक्ति अपना पूरा जीवन बदल सकता है और सफलता के मार्ग पर चल सकता है।
गुरु नानक जी के विचार (Guru Nanak Ji Inspiring Quotes) ईश्वर एक है और वह सर्वत्र विद्यमान हैं। हमें सबके साथ प्रेम पूर्वक रहना चाहिए।
मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए। इससे आने वाले समय में जरूर लाभ मिलता है। लोभ का त्याग कर अपने हाथों से मेहनत कर न्यायोचित तरीकों से धन का अर्जन करना चाहिए। इस तरह का अर्जित किया गया धन कभी बर्बाद नहीं होता है।
किसी का भी हक नहीं छिनना चाहिए। दूसरों का हक छिनता है, उसे कभी भी समाज में सम्मान नहीं मिलता है। धन को जेब तक ही सीमित रखना चाहिए। उसे हृदय में स्थान नहीं देना चाहिए। क्योंकि हृदय पर स्थान देने से लालसा और बढ़ जाती है।
स्त्री-जाति का आदर करना चाहिए। स्त्री और पुरुष दोनों को ही बराबर मानना चाहिए। ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता। क्योंकि मानसिक तनाव से मुक्ति मिल जाती है। संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर विजय पाना अति आवश्यक है। जब आप खुद के विकारों पर विजय पा लेंगे, तो आपको कोई भी सफलता ही सीढ़ियों से नीचे नहीं गिरा पाएगा।
लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यात्मिक ज्योति का संदेश देना चाहिए। अहंकार कभी नहीं करें, बल्कि विनम्र भाव से जीवन गुजारें। अहंकार करने से बड़े बड़े विद्वान भी बर्बाद हो गए। चिंता मुक्त होकर कर्म करते रहना चाहिए। संसार जीतने से पहले अपने विकारों पर विजय पाना जरूरी है।
कोई भी ईश्वर को तर्क के माध्यम से समझ नहीं सकता, भले ही वह उम्र भर तर्क करे।
इस जग को जीतने के लिए अपनी कमियों और विकारों पर विजय पाना बहुत जरूरी है।
ईश्वर एक है और उसे पाने का तरीका भी एक है। यही सत्य है। वो रचनात्मक है और वो अनश्वर है। जिनमे कोई डर नहीं और जो द्वेष भाव से परे है। इसे गुरु की कृपा द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।
सभी मनुष्य एक ही हैं न कोई हिन्दू और न कोई मुसलमान। सभी एक समान हैं।
केवल वही वाणी बोले, जो आपको सम्मान दिलाये।
जिस व्यक्ति को खुद पर विश्वास नहीं है वो कभी भी ईश्वर पर पूर्ण-रूप से विश्वास नहीं कर सकता।