Guru Ravidas Jayanti Quotes: संत रविदास जयंती पर इनके दोहे- विचार को जानिए जो जीवन को सरल और सफल बनाते हैं/Guru Ravidas Jayanti Quotes: On Saint Ravidas Jayanti, know his thoughts which make life simple and successful
हर साल माघ पूर्णिमा के दिन Guru Ravidas Jayanti मनाई जाती है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है. संत रविदास को रैदासजी के नाम से भी जाना जाता है। संत गुरु रविदास जी उन महान संतों में से एक हैं जिन्होंने समाज में फैली बुराईयों और कुरूतियों को दूर करने के लिए लोगों को सच्चे मार्ग पर चलने की राह दिखाई. उन्होंने अपनी भक्ति भावना से पूरे समाज को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया है।आइए जानते हैं संत रविदास जी के कुछ अनमोल दोहे और प्रेरक विचारों के बारे में जो आज भी लोगों का मार्गदर्शन करते हैं।
संत रविदास के दोहे और प्रेरक विचार
संत रविदास के लिए कर्म ही पूजा थी. वो बाहरी दिखावे और आडम्बर की बजाय सिर्फ गुणों को सम्मान देने की बात करते थे।’मन चंगा तो कठौती में गंगा’ उन्हीं की कहावत है जिसका मतलब है कि अगर हमारा मन शुद्ध है तो ईश्वर हमारे हृदय में ही निवास करते है।
रविदास जी ने कभी भी भक्तिमार्ग को नही छोड़ा. वो ईश्वर को अपना अभिन्न अंग मानते थे और ईश्वर के बिना जीवन की कल्पना भी नही करते थे. इसका पता उनकी इस पंक्ति में दिखाई देता है. ‘अब कैसे छूटे राम रट लागी। प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी॥ प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा॥ प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती॥’
रविदास जी जाति व्यवस्था के सबसे बड़े विरोधी थे. उनका मानना था की इन जातिपाती के चलते मनुष्य एक-दूसर से दूर होता जा रहा है. उनका कहना था कि जिस जाति से मनुष्य का मनुष्य से बंटवारा हो जाये तो फिर जाति का क्या लाभ. जाति व्यवस्था पर उनका ये दोहा बहुत प्रसिद्ध है, ‘जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात। रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।।’
‘मन ही पूजा मन ही धूप, मन ही सेऊं सहज स्वरूप।।’ अर्थात भगवान निर्मल मन में ही वास करते हैं.अगर आपके मन में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है, कोई लालच या द्वेष नहीं है तो आपका मन ही भगवान का मंदिर, दीपक और धूप है. ऐसे पवित्र विचारों वाले मन में प्रभु हमेशा बसते हैं.
‘ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन, पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।।’ रविदास जी कहते हैं कि किसी की पूजा सिर्फ इसीलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि वह किसी ऊंचे पद पर है. इसकी बजाय अगर कोई ऐसा व्यक्ति है, जो किसी ऊंचे पद पर तो नहीं है लेकिन बहुत गुणवान है तो उसका पूजन करना चाहिए।