Kartik Purnima

आखिर Kartik Purnima को ही क्यों मनाई जाती है देव दीपावली/After all, why is Dev Deepawali celebrated only on Kartik Purnima?

दीपावली के ठीक 15 दिन बाद और Kartik Purnima के दिन देव दीपावली या देव दिवाली का पर्व मनाया जाता है. देव दिवाली के दिन काशी और गंगा घाटों पर विशेष उत्सवों के आयोजन किए जाते हैं और गंगा किनारे खूब दीप प्रज्जवलित किए जाते हैं. देव दिवाली मनाने को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता भी स्वर्गलोक से धरती पर आते हैं और दिवाली का पर्व मनाते हैं. इस साल Kartik Purnima 08 नवंबर 2022 को है. लेकिन इस दिन चंद्र ग्रहण लगने के कारण इस बार देव दिवाली 07 नवंबर 2022 को मनाई जाएगी।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्वहिंदू धर्म में Kartik Purnima के दिन को सबसे शुभ दिन माना जाता है

Kartik Purnima का महत्वहिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन को सबसे शुभ दिन माना जाता है. इस दिन स्नान, दान, व्रत और दीपदान का विशेष महत्व होता है. साथ ही Kartik Purnima पर सुख-समृद्धि के लिए लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था।

देव दीपावली कथापौराणिक कथा के अनुसार, त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस ने अपने आतंक से धरतीलोक पर मानवों और स्वर्गलोक में सभी देवताओं को त्रस्त कर दिया था. सभी देवतागण त्रिपुरासुर से परेशान हो गए थे. सभी सहायता के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे और त्रिपुरासुर का अंत करने की प्रार्थना की

कथा के अनुसार, भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था. त्रिपुरासुर के अंत के बाद उसके आंतक से मुक्ति मिलने पर सभी देवतागण प्रसन्न हुए और उन्होंने स्वर्ग में दीप जलाएं. इसके बाद सभी भोलेनाथ की नगरी काशी में पधारे और काशी में भी दीप प्रज्जवलित कर देवताओं ने खुशी मनाई.

इस घटना के बाद से ही कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन को देव दीपावली कहा जाने लगा और इस दिन काशी और गंगा घाटों में विशेष तौर पर देव दीपावली मनाई जाती है. इस दिन त्रिपुरासुर राक्षस का वध हुआ था, इसलिए भी Kartik Purnima को त्रिपुरी पूर्णिमा और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.

कैसे मनाते हैं देव दिवाली

दीपदान का है महत्व : इस दिन सभी नदी तीर्थ क्षेत्रों में घाटों और नदियों में दीपदान किया जाता है। इस दिन गंगा स्नान कर दीपदान का महत्व है। इस दिन दीपदान करने से लंबी आयु प्राप्त होती है। इस दिन गंगा के तट पर स्नान कर दीप जलाकर देवताओं से किसी मनोकामना को लेकर प्रार्थना करें।

तुलसी पूजा जरूर करें : इस दिन तुलसी के पौधे और शालिग्राम की पूजा की जाती है। कई राज्यों में तुलसी विवाह होता है।

स्नान का है खास महत्व: इस दिन प्रात:काल जल्दी उठकर नदियों में स्नान करने का खास महत्व है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें। स्नान के बाद दीपदान, पूजा, आरती और दान करें।

सूर्य को अर्घ्‍य दें : स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।

सत्यनाराण भगवान की कथा : सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण करें।

पूजन और व्रत: इस दिन चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसुईया और क्षमा इन छः कृतिकाओं का पूजन करते हैं।साथ ही: इस दिन पूर्णिमा का व्रत रखकर किसी गरीब को भोजन कराएं।

दान : इस दिन बैल का दान करने से शिव कृपा और भेड़ का दान करने से ग्रहदोष दूर होते हैं। गाय, हाथी, घोड़ा और रथ आदि का दान करने से धन संपत्ति बढ़ती है। हालांकि आजकल इस तरह का कोई दान नहीं करता है। ऐसे में किसी घी, गुड़, अनाज, वस्त्र, कंबल, अन्न आदि दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

जागरण : श्री राधा- कृष्ण पूजन इस पूर्णिमा के दिन रात्रि रात्रि जागरण कर श्रीहरि की पूजा और भजन करने से मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही इस दिन यमुना के तट पर श्री राधा और कृष्णजी का पूजन कर दीपदान करने से सभी तरह की मनोरथ पूर्ण होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *